Speeches

November 1, 2017

Speaking at ​the Coal India Limited’s 43rd Foundation Day, in Kolkata

सभी कोल कंपनियों के CMDs, Coal India के directors, श्री झा, श्री शेखर सरन, श्री रेड्डी, श्री देय, श्री राजीव रंजन मिश्रा जी, चक्रवर्ती जी, सिंह साहब, श्री प्रसाद, श्री बिनय दयाल जी,  हमारे बीच विशेष तौर पर आज उपस्थित डॉक्टर बसंत राय जी जिनके नेतृत्व में हाल में ही एक बहुत ही सफलतापूर्वक निर्णय और वेज एग्रीमेंट कोल के कर्मचारी और कोल इंडिया के बीच में हुआ है| हमारे बीच कई पूर्व के चेयरमैन, कोल इंडिया के CMDs, coal companies के directors – (Inaudible) साहब, थापर जी, कई महानुभाव उपस्थित हुए हैं| यहाँ उपस्थित सभी कोल परिवार के सदस्य और गोपाल जी बता रहे हैं कि उनकी पत्नी समेत बहुत सारे कोल के परिवार के सदस्य अलग-अलग इलाकों में वेबकास्ट द्वारा भी आज हमारे साथ जुड़े हैं|

मैं आप सभी का नमन करता हूँ, आप सभी को बधाई देता हूँ, सभी को शुभकामनाएं देता हूँ इस 43वे फाउंडेशन डे दिवस के शुभ अवसर पर, 1975 में शुरू हुई यह कोल कंपनी आज वास्तव में भारत की ऊर्जा सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में उभरकर कोल इंडिया, कोल इंडिया का हर एक कर्मचारी, कोल इंडिया के साथ जुड़े हुए सभी stakeholders, अलग-अलग प्रकार से काम करते हैं, कोई contracts करते हैं, कोई equipment supply करते हैं, क्या पता कुछ लोग सिर्फ सिक्यूरिटी देते हों, कैंटीन चलाते हों, कोल कंपनी के बाहर अपना छोटा सा ठेला चलाते हों लेकिन मैं समझता हूँ सभी का मिलजुलकर अगर योगदान सम्मिलित करें तभी जाकर कोल इंडिया की सफलता, कोल इंडिया से जो अद्भुत काम गत 3.5 वर्षों में मैंने देखा है और इसलिए मैं सभी को धन्यवाद देता हूँ, सभी को शुभेच्छा देता हूँ आगे के लिए| क्योंकि मैं समझता हूँ हर व्यक्ति के छोटे-छोटे योगदान से, जिस प्रकार से राम सेतु हर गिलहरी के योगदान से बना था उस प्रकार से मैं समझता हूँ हमारे परिवार, हमारे परिवार से जुड़े हुए जितने अंग हैं, direct, indirect, सभी के मिले-जुले प्रयत्नों से आज कोल इंडिया सफलता के मार्ग पार करते जा रही है|

गोपाल सिंह जी ने ज़रूर लक्ष्यों के प्रति आपका ध्यान फिर एक बार आकर्षित किया, सफलताओं के बारे में भी बताया गत वर्षों की, इस वर्ष क्या उम्मीद है उसकी भी बात की| सिर्फ एक थोड़ा करेक्ट कर दूं पहली अप्रैल को मत देखना नंबर, 31 मार्च को देख लेना, कहीं ग़लतफहमी न हो जाये, अप्रैल फूल डे पर हम फूल न हो जायें|

और यह कोई लक्ष्य मैं समझता हूँ मुश्किल नहीं है, असंभव तो ज़रा भी नहीं है| जब तक हम लक्ष्यों को चुनौती के रूप में नहीं देखते और चुनौतियों को संभावनाओं के रूप में न देखें| आखिर जब कोई क्राइसिस आता है, कुछ समस्या आती है कई लोग डर भी जाते हैं| मुझे याद है जब मेरे portfolios change किये गए सितम्बर 3 तारीख को, कई हजारों messages आये, मैं दुर्भाग्य से सबको individually respond भी नहीं कर पाया और अगर आप में से भी किसी का आया और मेरा रिप्लाई नहीं आया तो मुझे क्षमा करना नहीं तो अभी तक का मेरा ट्रैक रिकॉर्ड था कि मैं हर मेसेज या फ़ोन को किसी न किसी तरीके से देर सही respond ज़रूर करता हूँ, इस बार respond नहीं कर पाया|

पर अधिकांश मेसेज कुछ न कुछ सहानुभूति भी साथ में देते थे, सोचते थे कि रेलवे का विभाग मिलने से जैसे कोई मेरे ऊपर बड़ी समस्या आ गयी| अगर मैं एक-एक से बात कर सकता तो उनको बताता कि 2014 में जब मुझे ऊर्जा और कोयला का विभाग दिया गया था तब भी लगभग सबकी सोच ऐसी थी कि अरे यह तो बड़ा मुश्किल सा काम है, यह बड़ा चुनौती भरा विभाग मुझे मिला है| और मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ मुझे साड़े तीन वर्ष में एक दिन, एक पल भी कभी ऐसा नहीं महसूस हुआ कि जैसे कोई काम बहुत कठिन है, बहुत संघर्ष की ज़रूरत है या मैं नहीं कर पाउँगा| और अगर उसके पीछे कोई ताकत थी तो वह आप सब थे, और आप सबका परिश्रम था आप सबका सहयोग था|

एक पल भी कभी दिक्कत नहीं आई यह सोचते हुए कि जो देश कई दशकों से ऊर्जा से वंचित रहा, power shortages, coal shortages, जो एक mindset था पूरे देश का, एक मन में कभी कोई विचार ही नहीं करता था कि देश में कोयला पर्याप्त हो सकता है अपने देश की requirements के हिसाब से, देश की ज़रूरतों के हिसाब से| कभी किसी ने कल्पना ही नहीं की कि समस्या ऐसी हो जाएगी कि Mr Prasad को दर-दर जाकर कोयला बेचने के लिए कटोरा लेकर जाना पड़ेगा और मुझसे हर 15 दिन में डांट खानी पड़ेगी कि और कोयला क्यों नहीं बेचते| यह एक-दो महीने की परिस्थिति को अगर हम छोड़ दें और वह बड़ी विचित्र बैकग्राउंड में यह परिस्थिति आई, पर लगभग डेढ़ वर्ष – फ़रवरी 2016 से लेकर जुलाई 2017 तक पूरा कोल परिवार, कोल इंडिया के सभी subsidiaries में हमें रेगुलेट करना पड़ा, कंट्रोल करना पड़ा, reduce करना पड़ा कोल का उत्पादन इस समस्या से जूझते हुए कि बिक नहीं रहा है|

और मैंने तो पता नहीं कभी कुछ अपशब्द भी बोल दिए होंगे उस दौरान मैं इतना परेशान रहता था कि क्या मुंह दिखाऊंगा कोल बढ़ते-बढ़ते बढ़ते एकदम कोल प्रोडक्शन ही जैसे बंद सी हो गयी| पर यह किसी ने कभी कल्पना ही नहीं की थी कि भारत में कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सकता है और कोल इंडिया में इतनी क्षमता है, इतना आत्मविश्वास है कि हम देश की पूरी ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं|

और मुझे याद आता है, मुझे लगता है 30 या 31 अगस्त, 2014, की मेरी बैठक दिल्ली में, आप में से गोपाल आप थे, राजीव जी आप भी थे शायद उसमें कि नहीं? अगस्त 2014, तबके जो सीनियर मैनेजमेंट टीम थी कोल इंडिया की, सुशील जी भी नहीं थे, मेरे खयाल से एस.के. श्रीवास्तव जी तभी सचिव हुआ करते थे हमारे| मुझे लगता है कोल इंडिया में उत्तर प्रदेश के ही सब सचिव आते हैं एक के बाद एक| और उस मीटिंग में जब हमने सोचा था कि और एक प्रकार से हम सबने सामूहिक रूप से तय किया था कि हम कोयले की समस्या से इस देश को छुटकारा दिलाएंगे और एलिमिनेट करेंगे इस समस्या को| तब मेरी बात में दो विशेष विषय मैंने रखे थे, एक तो था कि कैसे हम एक बिलियन टन कोयला – 100 करोड़ टन कोयला, का उत्पादन करें कोल इंडिया में जिससे permanently कोयले की समस्या इस देश से ख़त्म हो, तेज़ गति से ऊर्जा भी उत्पादन हो, तेज़ गति से उद्योग को सस्ते कोयले का लाभ मिले, aluminum plants आयें, steel plants आयें| अलग-अलग प्रकार से उद्योग जगत, electricity, विद्युत जगत को पर्याप्त कोयला मिल सके और जिसके लिए अनुमान था कि 1 billion tonne production is a necessity.

पर मैंने उसी दौरान यह भी बात रखी थी कि यह 1 billion tonne तो हम कर लेंगे, मुझे पूरा विश्वास था कि यह 1 billion tonne करने की क्षमता, उसके लिए पर्याप्त coal mines, उसके लिए पर्याप्त plans हमारे पास हैं लेकिन ज्यादा ज़रूरी जो लक्ष्य था और ज्यादा जो मेरे दिल को छूने वाला लक्ष्य था वह था कि हमारा कर्मचारी, कोल इंडिया परिवार का सदस्य जब बाहर सड़क पर जाकर खड़ा हो और कोई उससे पूछे या हमारे परिवार के कोई सदस्य को, हमारी पत्नी या पति को, हमारे बच्चों को, हमारे माता-पिता को कोई पूछे कि हम क्या करते हैं? आपका बेटा क्या करता है, आपकी बहू क्या करती है, आपका लड़का क्या करता है, आपके पति क्या करते हैं? तो बजाये कि हमें शर्मिंदा होने के हम शान से कह सकें कि हम कोल इंडिया परिवार के सदस्य हैं| और आज जो यह जगमगाती हुई बिजली पूरे देश में चमक रही है जो नासा के भी रेकॉर्ड्स और नासा के मैप्स पर भी जब कोई देखता है तो ध्यान में आता है कि भारत 5 साल पहले और भारत आज अगर आप ऊपर ऑर्बिट से देखें या चन्द्र माँ से देखें तो भारत में जो तेच है, भारत में जो ऊर्जा है, भारत जितना lit-up है वह 5 साल में लगभग दुगने से ज्यादा हो गया है और पूरे भारत के नक़्शे में बिजली हर कोने-कोने तक पहुँच गयी है|

और यह असंभव था अगर कोल इंडिया का एक बड़ा योगदान नहीं होता| आंकड़े तो अभी चेयरमैन ने बताये 92 मिलियन टन ग्रोथ हुई है गत तीन वर्षों में, इस वर्ष की ग्रोथ अगर जोडें तो उम्मीद है कि करीब-करीब 130-140 मिलियन टन 4 साल का ग्रोथ जो अपने आप में एक कीर्तिमान होगा| 4 साल में शायद कंपनी का ग्रोथ प्रोडक्शन का इतना होगा जो गत 10 वर्षों में नहीं हुआ होगा| साथ ही साथ हमने क्वालिटी के ऊपर बल दिया|

मैं आपको बधाई दूंगा आज जिधर जाता हूँ उधर respect से लोग कहते हैं कि नहीं, कोल इंडिया की क्वालिटी सुधरी है| स्पेसिफिक हीट रेट जो आंकलन करता है कि कितना कोयला लगा हर यूनिट बिजली के पीछे वह लगभग 7-8% सुधरा है, मतलब स्वाभाविक है कि कोयले की क्वालिटी में भी सुधार आया है| Complaints कम हुई हैं, regrade करी गयी हैं mines, सही ग्रेड का billing होती है, सही ग्रेड का माल मिलता है, अधिकतर – अब थोड़ा और सुधार कर लेंगे तो और ज्यादा हमारी प्रतिबद्धता दिखेगी, गुणवत्ता दिखेगी हमारे काम में|

लेकिन भाईयो बहनों यह सब संभव है हमारा आत्मविश्वास कभी कम नहीं होना चाहिए, हमारा मनोबल कभी हल्का नहीं पड़ना चाहिए, हमारी ईमानदारी कभी प्रश्न चिन्ह नहीं उठना चाहिए उसपर, हमारी मेहनत कभी किसी और से कम नहीं होनी चाहिए| और मुझे पूरा विश्वास है कि जब हम सब मिलकर इस Can-Do, Will-Do spirit को कार्यान्वित करेंगे कि हमारे में पूरी क्षमता है और हम यह करके दिखाएंगे तब हमारी companies efficiently चल सकती हैं, तब हमारे कोयले के उत्पादन में भी वृद्धि होगी, गुणवत्ता भी सुधरेगी, हमारी कंपनी की profitability सुधरे यह अनिवार्य है नहीं तो कई public sector companies हैं जिनमें आगे चलकर pension देने तक के लिए पैसा नहीं रहता है, कई कंपनियां हैं जो आहिस्ते-आहिस्ते बंद हो जाती हैं| और कोयले में तो यह भी खतरा है कि नवीकरणीय ऊर्जा जिस प्रकार से पूरे विश्व में तेज़ गति से बढ़ रही है और सस्ती होती जा रही है तो जलवायु परिवर्तन को तो छोडिये क्लाइमेट चेंज का जो समस्या वह अलग, शायद आर्थिक दृष्टि से ही अगर हम सस्ता कोयला नहीं दे पाए और अच्छा कोयला नहीं दे पाए तो कई alternate forms of energy आकर हमारे व्यापार में हमारे कंपनी के भविष्य को खतरे में न डालें इसलिए हमारी यह operating efficiency कितनी  productivity रहती है हमारे काम में, कितना ज्यादा कोयला हर व्यक्ति उत्पादन कर सकता है|

आखिर यह कोई छुपी हुई बात नहीं है, कोई मैं नयी बात नहीं कहूँगा, अगर मैं आपसे शेयर करूँ कि यह भी सत्य है कि कई बार एक फीलिंग होती है कि भाई एक बार व्यक्ति permanent हो गया कंपनी में उसके बाद उसका आउटपुट तो कम हो जाता है और बाहर वालों को आकर प्रोडक्शन देनी पड़ती है, यह मेरे खयाल से कोई बहुत अच्छा संकेत नहीं है भविष्य के लिए, मुझे इसकी चिंता है| मुझे चिंता है कि हमने शायद नए तकनीकों का, new technologies का इस्तेमाल पर्याप्त नहीं किया है कोल इंडिया में|

मुझे चिंता है कि कई माइनें आज भी ऐसी हैं जहाँ safety के पूरे measures लेने में शायद छोटी-मोटी चूक हो जाती है, कई mines ऐसी हैं जहाँ पर उत्पादन और productivity कम होने के कारण वास्तव में वह माइन कोल इंडिया के ऊपर एक बोझ बन जाती है| कई जगह ऐसी है जहाँ over-burden के लिए हमें बाहर से लोग लाने पड़ते हैं या mining activities पर दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है, बजाये कि हमारी क्षमता के बलबूते पर हम production बढाएं, productivity बढाएं|

और भाईयो बहनों यह समस्याएं शायद हमें ध्यान नहीं आ रही हैं लेकिन यह खतरे के बादल हमारे सर पर हैं, इससे हमें जल्द से जल्द मिलजुलकर… और यह बड़ी अच्छी बात है कि मेरा अभी तक का साढ़े तीन वर्षों का अनुभव रहा है कि हमारे कर्मचारी, हमारे यूनियन लीडर्स – मैं सबका नाम नहीं ले पाया समय के आभाव के कारण| आज कई leaders आये हैं, कई शायद कुछ कारण वर्श नहीं भी आ पाए और कोने-कोने में कई बार बड़ी विपरीत परिस्थितियों में काम करने के बावजूद हमारे कर्मचारियों के परिश्रम में मुझे बड़ा गर्व है, परिश्रम पर मुझे पूरा-पूरा विश्वास है, गर्व है| कई बार तो मुझे कर्मचारी के प्रतिनिधि आके बताते हैं कि साहब हम करना चाहते हैं, मैनेजमेंट की तरफ से हमें और सहयोग कम मिलता है|

और मैं समझता हूँ जब हम एक परिवार के रूप में हर व्यक्ति अपनी ज़िम्मेदारी के रूप में इसको ले, अपनी प्रतिबद्धता, अपना संकल्प ले तो जिस नए भारत की ओर आज पूरा देश तेज़ कदम उठा रहा है, एक नया भारत जहाँ पर हर व्यक्ति के सर पर छत हो, हर घर में शौचालय हो, पानी हो, बिजली हो, अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, जातिवाद, आतंकवाद से मुक्ति मिले इस देश को, जब एक ऐसे नए भारत की तरफ पूरा देश तेज़ कदम उठा रहा है, ऐसे में जब तक हम एक नया कोल इंडिया नहीं बनाएं – New Coal India, a Coal India which believes in itself, a Coal India which has confidence in itself, a Coal India which is committed to a better future, both for the employees of the company and for the nation.

हम अपने परिवार का भी ध्यान दें लेकिन साथ ही साथ देश की चिंता करें तभी जाकर मैं समझता हूँ एक अच्छा नया भारत बनना है तो एक अच्छा, नयी कोल इंडिया भी हमने बनानी पड़ेगी| There cannot be a New India without a New Coal India, and that is the commitment that we all have to agree to do.

कोलकाता तो वैसे भी बहुत ही विशेष शहर है, पश्चिम बंगाल ने हमें बड़े-बड़े महानुभाओं का आशीर्वाद दिया है| नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने जो नारा दिया था मैं समझता हूँ आज तक पूरे देश को उससे प्रेरणा मिलती है, आखिर आज़ादी तो हमें मिली लेकिन आज भी कई ऐसी गलत चीज़ें हैं जिससे, चाहे वह जातिवाद हो, चाहे वह आतंकवाद हो, चाहे वह तुष्टिकरण की राजनीति हो, चाहे वह गरीबी हो, शिक्षा, स्वास्थ्य से वंचित, शोषित और पीड़ित करोड़ों हमारे भाई बहन हों इन सबसे भी हमें देश को आज़ादी दिलानी है, काम अभी अधूरा है|

बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कई बार हमारे देश में productive time, जो समय हमने नयी चीज़ों की खोज में, नए विचारों में, नयी दिशाओं को, नयी चुनौतियों को पार करने में लगाना पड़ता है, उसके बदले इस देश में चर्चा और पूरा डिबेट जो हो रहा है वह डिबेट रबिन्द्रनाथ टैगोर ने दी हुई national anthem जन-गण-मन गायी जाये या नहीं गायी जाये, या बंकिम चन्द्र चटर्जी ने दिया हुआ वन्दे मातरम के ऊपर विवादों में यह देश उलझा रहता है| मैं समझता हूँ इससे ज्यादा दुःख का संकेत और कुछ नहीं हो सकता है हमारे देश के लिए कि हमने अपने देश में अपनी विरासत को कभी वैल्यू ही नहीं किया, हमारे देश की इतनी बड़ी-बड़ी हस्तियों ने इस देश को जिस प्रकार से सींचा है अपने खून और पसीने से, वह जो एक तड़प थी इस देश के लिए कुछ करने के लिए, कुछ मर मिटने ने लिए वह तड़प कम होती जा रही है और क्या बातों के वाद-विवाद में हम उलझे हुए हैं|

मैं समझता हूँ समय आ गया है कि collectively, यह देश तय करे और उसमें कोल इंडिया और हमारे पूरे परिवार की बड़ी अहम भूमिका हो सकती है दिशा देने में कि कैसा भविष्य हम अपने बच्चों के लिए छोडकर जाना चाहते हैं| आप में से कई लोग विदेश गए होंगे, कई बार विदेश में कोई एयरपोर्ट पर या कोई रेलवे स्टेशन पर हम बैठे हों और कभी कोई आर्मी के लोग उधर से हमारे सामने से गुज़रते हों तो मैंने तो कई बार स्वयं अनुभव किया है कि जितने लोग वहां रहते हैं, जितने नागरिक उपस्थित होते हैं वह सब खड़े हो जाते हैं और ताली मारकर उनका स्वागत करते हैं कि यह इस देश की सीमाओं को सुरक्षित रखते हैं, यह इस देश की सेवा करते हैं, इस देश के लिए मर मिटके के लिए तैयार रहते हैं|

और इसी प्रकार से मुझे लगता है आज हमारे देश की सबसे बड़ी अगर कोई जोड़ने वाली ताकत है जिसमें देश में किधर भी कोई वाद-विवाद नहीं होना चाहिए जो पूरे देश के लिए एक प्रकार से एक माला की तरह सबको जोडती है तो मैं समझता हूँ हमारा national anthem है, हमारा national song है| क्या कभी वाद-विवाद हो सकता है कि हम अपने पूर्वजों के लिए, अपने माता-पिताओं के लिए इज्ज़त और विश्वास रखें? आज भी इस देश की सबसे बड़ी अगर कुछ विशेषता है जो हमको पूरे विश्व में एक अलग प्रकार से विश्व के सामने पेश करती है वह है हमारे value systems, हमारे traditions, हमारी heritage, हमारा culture जो सदियों से, पीढ़ी-पीढ़ी आकर हमको विरासत में मिलता है|

और कोल इंडिया आज 43rd year में प्रवेश कर रहा है, एक प्रकार से कोल इंडिया में भी 2-3 पीढ़ी काम कर चुकी है, आगे यह नए बच्चे कोल इंडिया को संभालेंगे| और मुझे बड़ा आनंद आता है जब मैं कोई कार्यक्रम में जाता हूँ और मैंने कोल इंडिया के हर कार्यक्रम में यह महसूस किया है कि कोई बाहर से आकर कोई प्रोग्राम कंडक्ट नहीं करता है, कोई प्रोग्राम नहीं चलाता है| हमारे बच्चे, हमारा… We are proud of these children.

और यह हमें बताएँगे आगे का रास्ता क्योंकि यह कभी अपनी लिमिट्स को चैलेंज नहीं करते हैं, इनमें यह क्षमता है हमारे भारत की नयी पीढ़ी में कि वह यह अच्छी तरह भली-भांति समझते हैं कि घर बैठे या आराम से बैठकर बड़ी चुनौतियां नहीं पार होंगी, बड़े लक्ष्य नहीं पार होंगे, मेहनत करनी पड़ेगी, उसके लिए हमें संघर्ष करना पड़ेगा|

और मुझे पूरा विश्वास है.. मैंने अभी-अभी CSR की भी आपकी किताब देखी, अभी बताया गया कि हम उसको एक मोबाइल ऐप्प के रूप में शायद मई 2018 तक, वैसे तो 6 महीने मेरे विभाग में कभी कोई काम को लगता नहीं है, मई तो बहुत दूर है| हम उसको भी पब्लिक करेंगे जानकारियां, और अभी तक की विशेषता जो हमारे काम की रही है वह पारदर्शिता रही है, हमने हर एक चीज़ को transparently, पारदर्शिता के साथ जनता के समक्ष रखा है, अच्छा-बुरा जो हुआ, हमने transparency के नए कीर्तिमान establish किये हैं, खासतौर पर कोल विभाग में चाहे वह नीलामी हो कोयले के खनन के ब्लॉक्स की, चाहे वह linkages हों जो सालों साल committee के माध्यम से दिए जाते थे हमने उसको भी नीलामी के माध्यम से देने की नयी प्रक्रिया शुरू करी|

हमारे contract workers की सभी details मैं समझता हूँ अब तो सभी कंपनियों ने पब्लिक कर दी होंगी उसको हमने पब्लिक किया कि भाई सबको minimum wages मिलनी चाहिए| आखिर यह पहली सरकार है जिसने हर क्षेत्र में 42% minimum wages बढ़ाये और हर contract worker के जीवन में भी उजाला लाये| यह सब जब हम करने जाते हैं तब मुझे संतुष्टि होती है कि हाँ कोल इंडिया का भविष्य आप सबके हाथ में सुरक्षित है, कोल इंडिया के हर कर्मचारी की चिंता हम सबका सामूहिक दायित्व है, इस देश में बिजली के उत्पादन में, लोहे के उत्पादन में, सीमेंट के उत्पादन में, एलुमिनियम के उत्पादन में और ऐसे हजारों और उद्योग छोटे-बड़े लघु मध्यम वर्गीय उद्योगों में जहाँ-जहाँ कोयला लगता है उन सबकी पूरी ज़रूरतें समय पर अच्छी क्वालिटी के कोल से हम पूरा करने में हमारी काबिलियत से हम पूरा करेंगे, हमारी क्षमता है, हमारा संकल्प है उसके लिए जो मेहनत करनी पड़ेगी हम करने के लिए तैयार हैं|

और इस देश को कभी कोयले या ऊर्जा की कभी आज के बाद समस्या न हो, and we will always remain a power and coal-surplus country जहाँ कभी black marketing coal की न करनी पड़े, कभी किसी को कोयले के लिए विदेश की तरफ न देखना पड़े| हाँ ज़रूर कुछ कोयले के बेस के power plants ऐसे लग गए हैं इस सरकार के आने के पहले जो सिर्फ विदेशी कोल के ऊपर निर्भर हैं, दुर्भाग्य की बात है और मैंने कई forums में कहा| मुझे दुःख होता है कि हमने समय पर यह क्षमता नहीं अपने आप में महसूस करी, हमने मेहनत नहीं करी कि कोल का उत्पादन इतना करले कि कोई इम्पोर्टेड कोल-बेस्ड पॉवर प्लांट न लगना पड़े देश में| बहुत दुर्भाग्य की बात है|

पर इतना हम ज़रूर संकल्प लें कि आज के बाद कभी ऐसी परिस्थिति देश में न आये कि विदेशी कोल के ऊपर, खासतौर पर थर्मल कोल विदेश से लाना पड़ जाये इस देश में| कई बार इसमें कठिनाइयाँ आती हैं, कई बार दिक्कतें आती हैं काम में, एक और महानुभाव जो पश्चिम बंगाल से शुरू करके पूरे विश्व में जिनकी चर्चा हुई, जिनके विचार प्रचलित हुए, जिन्होंने पूरे विश्व में भारत का परिचय दिया, स्वामी विवेकानंद, जिनकी सोच से, जिनके लेख से मैं स्वयं कई बार बहुत प्रेरणा लेता हूँ उनका एक किस्सा मुझे याद आता है| हिमालय के पहाड़ों में वह चल रहे थे, एक वृद्ध व्यक्ति दिखा, बड़ा थका हुआ था, चढ़ाई करने में तकलीफ हो रही थी और निराश था कि शायद मैं और नहीं आगे चढ़ पाउँगा, पहाड़ बहुत ऊंचे हैं|

और स्वामी विवेकानंद ने उनका मनुबल बढाया, उनको दिशा दी, आगे का मार्ग बताया कि देखो जिस सड़क को अभी आपने पार किया है वैसी ही सड़क आगे भी है, आप जहाँ खड़े हो, जिस सड़क को पार करके आप यहाँ तक पहुंचे हो यही सड़क आगे है, कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है| और जो आगे सड़क आपको दिख रही है वह थोड़ी देर में वह आपके पीछे हो जाएगी, आप उसको भी पार कर लेंगे, फिर और आगे नयी सड़क दिखेगी|

तो कोई चुनौती ऐसी असंभव नहीं है, मुश्किल नहीं है जिसको हम पार नहीं कर सकते, और उससे प्रेरणा लेकर वह वृद्ध व्यक्ति भी ऊपर चोटी तक पहुँच गया पहाड़ के क्योंकि आगे की सड़क और सरल दिखने लग गयी कि अब तक अगर मैं इतना रास्ता पार कर चुका हूँ, 22 वर्ष मेरे हो गए तो अगला वर्ष और उसके अगला वर्ष आगे और ऊपर जाने का ही है इसमें कोई मेरे सामने असंभव चीज़ नहीं है| और जैसे कभी हम आपमें से कोई, मतलब यह कोई मैं धर्म से नहीं जोड़ रहा हूँ पर एक सरल example लेने के कारण वैष्णो देवी का मुझे चित्र ध्यान में आता है, जब हम वैष्णो देवी में ऊपर चढ़ने के लिए मेहनत कर रहे होते हैं, थक जाते हैं…(Speech paused) मदद करते हैं ऊपर चढ़ने में वह सिर्फ आपके lower back पर हाथ रखते हैं, वह कुछ आपको धक्का नहीं देते हैं| आपके ऊपर चढ़ते हुए, अगर आपमें से कोई वैष्णो देवी गया है और यह अनुभव किया है तो आप ध्यान करिए वह कभी आपको धक्का नहीं देते हैं ऊपर चढ़ने के लिए, कोई उन्होंने प्रेशर नहीं देना पड़ता है, उनको कोई आपको उठाना नहीं पड़ता है| वह सिर्फ आपकी पीठ पर हाथ रखते हैं और जब वह हाथ रखते हैं, it’s a very calming influence on your body. Believe me, I have experienced it myself.

सिर्फ उनका हाथ रखना ही बिना कोई प्रेशर दिए एक प्रकार से बदन को भी आराम देता है, आपको प्रोत्साहन देता है कि अगला कदम उठाइये, और फिर अगला कदम और फिर आगे चलकर और कदम| मुश्किल नहीं है, रास्ता तेज़ गति से नापा जा सकता है, सफलता हमारे सबके सामने है, सफलता सिर्फ हमें लक्ष्य नहीं प्राप्त करेगी, सफलता हमें ख़ुशी भी देगी, सफलता से हम भी अपने आपको एक प्रकार से धन्य पाएंगे|

किसी ने अगर philosophy पढ़ी हो तो beyond a stage क्या पैसा कमाया, क्या पैसा मिला, इन सब चीज़ों से ख़ुशी नहीं होती है, satisfaction comes from achievement. Maslow की theory थी I think, Maslow की basic elementary philosophy यही थी कि अगर जीवन में ख़ुशी चाहिए, ख़ुशी काम में लक्ष्य प्राप्त करके, सफलता प्राप्त करके जो ख़ुशी मिलती है – ‘The law of satisfaction.’ Satisfaction comes not from material wealth, satisfaction comes from achievement, satisfaction comes from serving others.

कई बार यह विडंबना होती है कि joy or service –  ख़ुशी और सेवा, इन दोनों के बीच क्या फासला है? मैं अगर खुश हूँगा तब दूसरे की सेवा करूँगा या अगर मैं सेवा करूँगा तब मैं जाकर खुश हूँगा| यह कोई हमें आकर सिखा नहीं सकता है| मुझे लगता है पिछली बार में इसी स्थान पर आया था तब शायद जगत गुरु का कोई कार्यक्रम था, if I am not mistaken. 2015 में… श्री श्री रविशंकर जी आये थे| अब ऐसे जितने महानुभाव पूर्व में आये हैं, आज हैं, भविष्य में आयेंगे आप किसी की भी विचारों की चर्चा कर लें, कोई धर्म के ग्रंथ को उठा लें चाहे वह गुरु ग्रंथ साहिब हो, गीता हो, कुरान हो, बाइबल हो, आप सब जगह पाएंगे कि सेवा में से ही ख़ुशी मिलेगी जितनी ज्यादा हम ईमानदारी से सेवा करें उतना ज्यादा हमारा जीवन भी धन्य होगा उतना ज्यादा हमें और हमारे परिवार को ख़ुशी मिलेगी, उतना ज्यादा हम दूसरे के मुंह पर ख़ुशी देखकर हमारे जीवन में आनंद आएगा, हमारे जीवन में हमें लगेगा कि हमने कुछ प्राप्त किया, कुछ विशेष प्राप्त किया|

और भाईयो बहनों यह एक यात्रा है, यह कोई end नहीं है| There is no end to happiness. There is no end to service. हो सकता है एक आयु आती है उसमें निवृत होता है आदमी, रिटायर होता है वह सिर्फ एक पड़ाव है इस यात्रा का| एक लगातार इस यात्रा पर अगर हम चलते रहें और समय-समय पर introspect करें, अपने अन्दर देखें, अपने अन्दर झांककर देखें कि हमारा काम कैसा है क्या मैंने पूरा effort किया जितनी मेरी क्षमता है| Did I give it my best, did I do the best that I could. अगली बार मैं और अच्छा क्या कर सकता हूँ|

हमने हजारों टॉयलेट बनाये कोल इंडिया परिवार ने, देश भर में स्कूलों में लड़के-लड़कियों को अच्छी शौच की सुविधा मिले यह प्रतिबद्धता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 15 अगस्त, 2014 को ली कि हम एक वर्ष के अन्दर हर स्कूल में शौचालय बना देंगे उसमें हमारे ऊर्जा, कोयला, नवीकरणीय ऊर्जा के विभाग ने लगभग सवा लाख टॉयलेट बनाये देश भर में – सवा लाख, मात्र एक वर्ष में, बहुत बड़ी उपलब्धि थी| मैं अभी-अभी देख रहा था इसमें शायद कोल इंडिया अकेले ने इस कार्यक्रम में 800 करोड़ रुपये खर्चे किये, 750 करोड़ 2015-16 में, शायद उसके previous year भी किया था जहाँ तक मुझे याद है, तो हो सकता है 1200-1300 करोड़ रुपये हमने खर्चा किया|

मैंने अपील की थी कि काम हमने बहुत अच्छा किया, उस समय का लक्ष्य प्राप्त किया और यह मैं सिर्फ एक उदाहरण के लिए दे रहा हूँ| But I will not mind अगर इस उदाहरण को आप seriously लेकर इसमें थोड़ा आगे काम भी करें क्योंकि वह लक्ष्य सिर्फ टॉयलेट बनाना नहीं था, वह एक पड़ाव था उस लक्ष्य का| हमारा लक्ष्य था कि टॉयलेट बनें, हजारों की संख्या में हमने बनाये, सैंकड़ों करोड़ रुपये खर्चा किया, लेकिन हमारा यह भी लक्ष्य था और दायित्व था कि हम देखें कि वह टॉयलेट आज भी ठीक से चल रहे हैं कि नहीं, इस्तेमाल हो रहे हैं कि नहीं|

हमने कल्पना की थी कि हमारे पास जो 3 लाख से अधिक कर्मचारी हैं हम छोटी teams बनाके भेजकर उसका ऑडिट करेंगे, देखेंगे साफ़-सफाई ठीक है कि नहीं| ज़रूरत पड़े तो ट्रेनिंग करेंगे वहां के बच्चों की स्कूल के कैसे साफ-सफाई रखना, पानी नहीं आ रहा है तो एक छोटी टंकी लगा देंगे, ज़रूरत पड़े मोटर लगा देंगे| मैं सिर्फ यह इसलिए उदाहरण दे रहा हूँ कि कभी भी हम संतुष्टि से न बैठ जायें, 600 मिलियन टन हो जायेगा तो संतुष्टि से हम lazy न हो जायें या बस संतुष्टि हो जाये कि हमने अपना काम कर दिया|

Work and life is a continuous journey. The destination never comes. It’s a never ending destiny. हमें अपने आपको stretch करना है कि और क्या किया जा सकता है, मैंने अपनी गुणवत्ता सुधारी, क्या और कुछ कर सकता हूँ, सुरक्षा हो mining operations में कोई कमी न रह जाये कुछ और बढाओ, अच्छा काम कर सकता हूँ कि नहीं| मेरा अगला लक्ष्य क्या है, अगला लक्ष्य क्या है, अगला पड़ाव क्या है? यह जब तक तड़प हमारे 3 लाख के परिवार में नहीं, हर एक के लिए बनती है, तीन-सवा तीन, साढ़े तीन लाख के परिवार की, और मैं तो चाहूँगा यह उत्तेजना, यह एक प्रकार से शायद पीड़ा भी समझ सकते हो आप कि हमें और करना है, यह हमारे एक्सटेंडेड परिवार ने किया था, चाहे वह हमारा कांट्रेक्ट वर्कर हो, सप्लायर हो, कैंटीन चलाने वाला हो, ट्रक चलाने वाला हो, हमारा कस्टमर हो, पूरा जो हमारा डोमेन है कोल इंडिया का उसमें कैसे यह तड़प लायें कि मुझे कुछ और करना है इस देश के लिए, मेरी कंपनी के लिए|

और भाईयो बहनों इसमें मैं कई महिला, कई परिवार के लोग देख रहा हूँ, इसमें परिवार का भी बहुत बड़ा रोल हो होता है| मैं आपको मेरा व्यक्तिगत example देता हूँ, जबकि यह भी बात सच है कि कई बार जब 1-2 बज जाते हैं ऑफिस में तो पत्नी का फ़ोन आता है कि भाई दूसरों को तो जाने दो, तुम्हें काम करना है करो, बाकी लोगों को तो घर जाने दो| और कल रात को भी लगभग ऐसा ही कुछ हुआ| परन्तु ज्यादा जो मेरे को प्रेशर आता है मेरी पत्नी का, मेरे बच्चों का वह यह आता है कि तुमने यह काम पूरी तरीके से नहीं किया, तुमने इसपर ध्यान नहीं दिया, तुमने यह announcement की थी उसमें आगे क्या देखा|

कभी एक बार मुझे याद है यह रेल मंत्रालय मिलने के पहले की बात है क्योंकि अब तो सुबह कब होती है और रात कब होती है उसके बीच में कोई शायद फासला मुझे पता ही नहीं चलता है, लेकिन जब लगभग कोयला, ऊर्जा, सब पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने लग गयी थी, नवीकरणीय ऊर्जा, रिन्यूएबल एनर्जी में तेज़ गति हो रही थी, LED bulb धना-धन बिक रहे थे, दाम सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के कम होते जा रहे थे, शायद मैं थोड़ा सा complacent हो गया था, मैं भी थोड़ा सा आसन ले रहा था मुझे यह लगने था काफी कुछ हो गया| और मुझे याद है एक दिन पत्नी ने पूछा कि आज बड़े फ्री लग रहे हो| मैंने कहा by and large, everything is in order. और उसने कहा how can it be in order? और 10 चीज़ें गिना दिए जो यह तुमने देखा है, क्या है यह?

तो परिवार का भी बड़ा रोल रहता है हम सबको प्रोत्साहन देने के लिए, हम सबको उत्तेजित करने के लिए| We should be in a state of continuous flux, a state of wanting to do more. और ऐसा न हो जाये कि कभी retirement के बाद या मौका जब चले जाये क्योंकि आखिर समय तो रुकता नहीं है, जो बीत गया वह बीत गया| अगर हमने कल 250 rakes नहीं load किये तो वह दिन चला गया, वह कोई वापिस नहीं आने वाला|

जब हम इसको एक, इस journey को never-ending journey को continuous progress or growth के रूप में नहीं देखें और इस destination को कभी भी complete नहीं but continuing destination नहीं माने मैं समझता हूँ हमारा काम पूरा नहीं होगा| Sorry, थोड़ा ज्यादा philosophical हो गया शायद बातचीत में पर गोपाल जी ने कहा कि आज कई लोग जुड़े हैं webcast के द्वारा देश भर में तो मुझे लगा कि अपने दिल की बात मैं आपसे शेयर करूँ, अपने दिन की तमन्ना आप तक पहुँचाऊँ|

आप सबसे अनुरोध है कि यह एक नौकरी नहीं है, यह एक सेवा करने का हम सबको मौका मिला है, यह मात्र हमारे लिए तनख्वाह नहीं है, हमारे जीवन का सबसे अमूल्य समय हम इस काम में दे रहे हैं, हमारी मेहनत, हमारा काम व्यर्थ न रह जाये, कभी इतिहास हमको सवाल न पूछे कि आपको मौका मिला था आप विफल रह गए आपने कम काम किया| ऐसा कभी हमें स्थिति न आये इसलिए मैंने अपने मन की बात की आपके साथ| आप सबको पुनः बहुत-बहुत शुभकामनाएं, शुभेक्षा आपके काम में और आप सबका जीवन, आपके परिवार और सबके लिए आगे आने वाले दिनों में बहुत-बहुत खुशियाँ हों, बहुत-बहुत सफलताओं को आप चूमें, ऐसे विश्वास के साथ मैं आपसे विदा लेता हूँ|

बहुत-बहुत धन्यवाद|

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